पूरे विश्व में मनुष्यता का क्या खूब प्रदर्शन किया जा रहा है। लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास कर रहे हैं। कोई अपने पेपर नेपकिन की बिक्री बढाने के लिये देवी-देवताओं के चित्र उस पर छाप रहा है तो कोई अपने रेस्तरां में शराब के विज्ञापन के लिये माता के चित्र में फेरबदल करके उनके हाथों में शराब की बोतलें प्रदर्शित कर रहा है। डेनमार्क में ईश्वर का कार्टून बना दिया गया है, और उसे पहन कर वहां का मंत्री शान से घूम रहा है। भारत में कोटा शहर में एक किताब 'हकीकत' बिक रही है जिसमें देवी-देवताओं का अश्लील शब्दांकन किया गया है। एक वेबसाइट ऑफर कर रही है कि यदी आप देवी-देवताओं के जन्तु चित्र देखना चाहते हैं तो उनसे कहैं वै पेश कर देंगे।
अधिक जानकारी मेरी वेबसाइट पर है।
आखिर क्या मतलब है इन सबका, क्या चाहते हैं ये लोग, इससे इनका मनोरंजन होता है या फिर किसी उद्धेश्य की प्राप्ती? मैं यह सोचकर शर्मिंदा हूं कि मैं यह सब देख पाता हूँ।
अपने विचार अवश्य बताएं, यदि हिंदी के फोंट नहीं है तो डाउनलोड करें अथवा अंग्रेजी में कमेंट्स करें।
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आखिर क्या मतलब है इन सबका, क्या चाहते हैं ये लोग, इससे इनका मनोरंजन होता है या फिर किसी उद्धेश्य की प्राप्ती? मैं यह सोचकर शर्मिंदा हूं कि मैं यह सब देख पाता हूँ।
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