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Wednesday, November 22, 2017

आज गूगल का डूडल माना रहा है रखमाबाई राऊत का 153 वां जन्मदिन

रुखमाबाई राऊत(1864-1955) भारत की प्रथम महिला चिकित्सक थीं।

वह एक ऐतिहासिक कानूनी मामले के केंद्र में भी थीं, जिसके परिणामस्वरूप 'एज ऑफ कॉन्सेंट एक्ट, 1891' नामक कानून बना।





जब वह केवल ग्यारह वर्ष की थीं तबी उन्नीस वर्षीय दुल्हे दादाजी भिकाजी से उनका विवाह कर दिय गया था। वह हालांकि अपनी विधवा माता जयंतीबाई के घर में रहती रही, जिन्होंने तब सहायक सर्जन सखाराम अर्जुन से विवाह किया। जब दादाजी और उनके परिवार ने रूखमाबाई को अपने घर जाने के लिए कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया और उनके सौतेले-पिता ने उसके इस निर्णय का समर्थन किया। इसने 1884 से अदालत के मामलों की एक लंबी श्रृंखला चली, बाल विवाह और महिलाओं के अधिकारों पर एक बड़ी सार्वजनिक चर्चा हुई। रूखमाबाई ने इस दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी और एक हिंदू महिला के नाम पर एक अख़बार को पत्र लिखे। उसके इस मामले में कई लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ और जब उस ने अपनी डाक्टरी  की पढ़ाई की इच्छा व्यक्त की तो लंदन स्कूल ऑफ़ मेडिसन में भेजने और पढ़ाई के लिए एक फंड तैयार किया गया। उसने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक (आनंदीबाई जोशी के बाद) बनकर 1895 में भारत लौटी, और सूरत में एक महिला अस्पताल में काम करने लगी।



Saturday, November 18, 2017

वी शांताराम के जन्मदिन पर गूगल के होमपेज पर उनका डूडल

भारतीय फिल्म निर्माता शांताराम राजराम वानकुदरे के 116 वें जन्मदिन  अवसर पर गूगल ने अपने होमपेज पर उनका डूडल लगाया है।
पद्म विभूषण से सम्मानित वी शांताराम का  जन्म 18 नवंबर 1901 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था. वी शांताराम का मूल नाम राजाराम वानकुदरे शांताराम था, आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी।
र्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार वी. शांताराम 30 अक्टूबर 1990 को इस दुनिया से विदा कर गए।
उनकी प्रमुख फिल्में

खूनी खंजर
धर्मात्मा
आदमी
डॉ कोटनिस की अमर कहानी
नवरंग
गीत गाया पत्थरों ने
दो आँखें बारह हाथ
जल बिन मछ्ली नृत्य बिन मछली
पिंजरा
झांझर

Friday, July 22, 2016

पार्श्वगायक मुकेश के जन्मदिन पर गूगल का डूडल

गूगल ने अपने सर्च इंजन के होमपेज पर भारत के प्रसिद्ध पार्श्वगायक मुकेश पर डूडल बनाया है। मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद माथुर है। इंका जन्म 22 जुलाई 1923 को हुआ था। राजकपुर पर इनकी आवाज जबर्दस्त रूप से मेच करती थी।
मुकेश को "सब कुछ सीखा हमने न सीखिए होशियारी" "सबसे बड़ा नादान" "जय बोलो बेईमान की" और "कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है" के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया।

मुकेश जी के 93 वें जन्मदिन पर गूगल का ये रहा डूडल

Monday, December 14, 2015

अयंगर स्कूल ऑफ योग के संस्थापक बीकेएस अयंगर के जन्मदिवस पर गूगल का डूडल


अयंगर स्कूल ऑफ योग के संस्थापक बीकेएस अयंगर  के जन्मदिवस पर गूगल डूडल अपने होमपेज पर योग करते हुए अयंगर का डूडल लगाया है। 

अयंगर का जन्म 14 दिसंगर, 1918 को कर्नाटक के बेल्लुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम बेल्लुर कृष्णामचार सुंदरराजा अयंगर रखा गया था। वर्ष 1934 में जब वह 16 साल के थे, उन्होंने अपने शिक्षक टी. कृष्णामचार्य से बचपन की बीमारियों से निजात पाने के लिए योग सीखा। इसके दो साल बाद उन्हें योग के प्रचार के लिए पुणे भेज दिया गया, क्योंकि वह अंग्रेजी जानते थे।
धीरे-धीरे उन्होंने 'अयंगर योग' का विकास किया और अपने अभ्यास से योग सूत्र का अर्थ जाना, जो शरीर, दिमाग और भावनाओं को जोड़ता है। यह 'अष्टांग शैली' आज दुनियाभर में मान्य है और इसका अभ्यास दुनियाभर के योग प्रशिक्षक करते हैं।
वर्ष 1952 में उन्हें प्रसिद्ध वायलिन वादक यहूदी मेनुहिन से मिलने का मौका मिला, जिन्होंने अयंगर का परिचय पश्चिमी दुनिया से कराया और उन्हें यूरोप, अमेरिका तथा अन्य देशों में योग पर व्याख्यान देने और वहां इसके बारे में बताने का अवसर मुहैया कराया।
चीन के डाक विभाग ने उनके सम्मान में वर्ष 2011 में डाक टिकट जारी किया था, जबकि सैन फ्रांसिस्को ने 3 अक्टूबर, 2005 को बीकेएस अयंगर दिवस के रूप में मनाया। वर्ष 1975 में अपनी पत्नी की याद में पुणे में रमामणि अयंगर मेमोरियल योग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की। 

अयंगर को 1991 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2014 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था। अयंगर को विश्व के अग्रणी योग गुरुओं में से एक माना जाता है और उन्होंने योग के दर्शन पर कई किताबें भी लिखी थीं, जिनमें 'लाइट ऑन योगा', 'लाइट ऑन प्राणायाम' और 'लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि' शामिल हैं।


Thursday, November 26, 2015

भारत के "मिल्क मेन" वर्गीस कुरियन गूगल डूडल पर

आज वर्गीस कुरियन का 94 वाँ जन्मदिन है। उन्हे भारत का "मिल्क मेन" कहा जाता है। उनके जन्मदिवस के अवसर पर गूगल इंडिया के होमपेज पर गूगल ने वर्गीस कुरियन का डूडल लगाया है।  इस डूडल मे वर्गीस कुरियन भैंस का दुश दुह रहे हैं। जमीन पर रस्सी गिरि हुई है उससे GOOGLE बनाया हुआ है।

वारगीस कुरियन देश मे दुग्ध क्रान्ति लेकर आए। उन्हे भारत की श्वेत क्रांति का जनक सम्मान से नवाजा गया।




Monday, November 02, 2015

गूगल पर जॉर्ज बूल का डूडल - कौन हे जॉर्ज बूल


2 नवंबर को गूगल ने अपने होमपेज पर जॉर्ज बूल का डूडल बनाया है। आज जॉर्ज बूल का 200 वां जन्मदिवस है। जॉर्ज बूल एक अंग्रेजी गणितज्ञ, शिक्षक, दार्शनिक और तर्कशास्त्री थे।  उन्होंने अंतर समीकरणों और बीजीय तर्क के क्षेत्र में काम किया है। उन्हे सबसे अधिक "The Law of Thought" के लिए जाना जाता है। 
जॉर्ज बूल 19 वीं सदी के सबसे प्रभावशाली गणितज्ञों मे से एक रहे हैं। उन्होने तर्क की ऐसी प्रणाली तैयार की जिसका उद्देश्य जटिल विचारों को सरल समीकरणों मे संक्षिप्त करना था। 



Saturday, October 24, 2015

प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के 94वें जन्मदिन पर गूगल का डूडल

प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के 94वें जन्मदिन पर गूगल ने अपने होमपेज पर आर के लक्ष्मण का डूडले लगाकर श्रद्धांजलि दी है। इसमे उन्हे उनकी प्रसिद्ध रचना "the Common man" की रचना करते हुए दिखाया गया है।

 रसीपुरम कृष्णस्वामी अइय्यर लक्ष्मण का जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर मे हुआ था। और गत वर्ष 26 जनवरी 2015 को उनका देहावसान हो गया था।

श्री लक्ष्मण को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जिनमे पद्म भूषण (1973) मे , रेमन मैगसेसे पुरस्कार (1984) मे और पद्म विभूषण (2005) को मिला।

सिम्बायोसिस अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में आरके लक्ष्मण के नाम पर एक कुर्सी है।



Thursday, October 01, 2015

प्राचीन हिन्दू सभ्यता को श्रेष्ठ सिद्ध करने वाली एनी बेसेंट के 168 वें जन्मदिवस पर गूगल का डूडल



डॉ एनी बेसेन्ट (१ अक्टूबर १८४७ - २० सितम्बर १९३३) अग्रणी थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। डॉ॰ एनी बेसेन्ट (Dr. Annie Wood Besant) का जन्म लन्दन शहर में १८४७ में हुआ। इनके पिता अंग्रेज थे। पिता पेशे से डाक्टर थे। पिता की डाक्टरी पेशे से अलग गणित एवं दर्शन में गहरी रूचि थी। इनकी माता एक आदर्श आयरिस महिला थीं। डॉ॰ बेसेन्ट के ऊपर इनके माता पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। अपने पिता की मृत्यु के समय डॉ॰ बेसेन्ट मात्र पाँच वर्ष की थी। 
 युवावस्था में इनका परिचय एक युवा पादरी से हुआ। उसी रेवरेण्ड फ्रैंक से एनी बुड का विवाह भी हो गया। पति के विचारों से असमानता के कारण दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहा। १८७० तक वे दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं। ईश्वर, बाइबिल और ईसाई धर्म पर से उनकी आस्था डिग गई। पादरी-पति और पत्नी का परस्पर निर्वाह कठिन हो गया और अन्ततोगत्वा १८७४ में सम्बन्ध-विच्छेद हो गया।। तलाक के पश्चात् एनी बेसेन्ट को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा और उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर धनोपार्जन करना पड़ा।
डॉ॰ बेसेन्ट कथन ने अपना अधिकांश जीवन दीन हीन अनाथों की सेवा में ही व्यतीत किया। वह कई वर्षों तक इंग्लैण्ड की सर्वाधिक शक्तिशाली महिला ट्रेड यूनियन की सेक्रेटरी रहीं। १८७८ में ही उन्होंने प्रथम बार भारतवर्ष के बारे में अपने विचार प्रकट किये। उनके लेख तथा विचारों ने भारतीयों के मन में उनके प्रति स्नेह उत्पन्न कर दिया। अब वे भारतीयों के बीच कार्य करने के बारे में दिन-रात सोचने लगीं। उनका भारत आगमन १८९३ में हुआ। सन् १९०६ तक इनका अधिकांश समय वाराणसी में बीता। वे १९०७ में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्षा निर्वाचित हुईं। उन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना करते हुए प्राचीन हिन्दू सभ्यता को श्रेष्ठ सिद्ध किया।
 धार्मिक, शैक्षणिक, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय पुनर्जागरण का कार्य प्रारम्भ किया। भारत के लिये राजनीतिक स्वतंत्रता आवश्यक है इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये उन्होंने 'होमरूल आन्दोलन' संगठित करके उसका नेतृत्व किया।
२० सितम्बर १९३३ को वे ब्रह्मलीन हो गई। आजीवन वाराणसी को ही हृदय से अपना घर मानने वाली बेसेन्ट की अस्थियाँ वाराणसी लाई गयीं और शान्ति-कुञ्ज से निकले एक विशाल जन-समूह ने उन अपशेषों को ससम्मान सुरसरि को समर्पित कर दिया।
उन्होंने 'ब्रदर्स आफ सर्विस' नामक संस्था का संगठन किया। इस संस्था की सदस्यता के लिये नीचे लिखे प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर करना आवश्यक था। 
१. मैं जाति पाँति पर आधारित छुआछूत नहीं करुँगा।
२. मैं अपने पुत्रों का विवाह १८ वर्ष से पहले नहीं करुँगा।
३. मैं अपनी पुत्रियों का विवाह १६ वर्ष से पहले नहीं करुंगा।
४. मैं पत्नी, पुत्रियों और कुटुम्ब की अन्य स्त्रियों को शिक्षा दिलाऊँगा; कन्या शिक्षा का प्रचार करुँगा। स्त्रियों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करुँगा।
५. मैं जन साधारण में शिक्षा का प्रचार करुँगा।
६. मैं सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में वर्ग पर आधारित भेद-भाव को मिटाने का प्रयास करुँगा।
७. मैं सक्रिय रूप से उन सामाजिक बन्धनों का विरोध करुँगा जो विधवा, स्त्री के सामने आते हैं तो पुनर्विवाह करती हैं।
८. मैं कार्यकर्ताओं में आध्यात्मिक शिक्षा एवं सामाजिक और राजनीतिक उन्नति के क्षेत्र में एकता लाने का प्रयत्न करूंगा। 

Tuesday, September 29, 2015

मंगल पर पानी पाये जाने पर गूगल का डूडल

अन्तरिक्ष एजेंसी नासा को मंगल गृह पर पानी मिलने पर गूगल ने मंगल गृह का डूडल बनाया।