अयंगर स्कूल ऑफ योग के संस्थापक बीकेएस अयंगर के जन्मदिवस पर गूगल डूडल अपने होमपेज पर योग करते हुए अयंगर का डूडल लगाया है।
अयंगर का जन्म 14 दिसंगर, 1918 को कर्नाटक के बेल्लुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम बेल्लुर कृष्णामचार सुंदरराजा अयंगर रखा गया था। वर्ष 1934 में जब वह 16 साल के थे, उन्होंने अपने शिक्षक टी. कृष्णामचार्य से बचपन की बीमारियों से निजात पाने के लिए योग सीखा। इसके दो साल बाद उन्हें योग के प्रचार के लिए पुणे भेज दिया गया, क्योंकि वह अंग्रेजी जानते थे।
धीरे-धीरे उन्होंने 'अयंगर योग' का विकास किया और अपने अभ्यास से योग सूत्र का अर्थ जाना, जो शरीर, दिमाग और भावनाओं को जोड़ता है। यह 'अष्टांग शैली' आज दुनियाभर में मान्य है और इसका अभ्यास दुनियाभर के योग प्रशिक्षक करते हैं।
वर्ष 1952 में उन्हें प्रसिद्ध वायलिन वादक यहूदी मेनुहिन से मिलने का मौका मिला, जिन्होंने अयंगर का परिचय पश्चिमी दुनिया से कराया और उन्हें यूरोप, अमेरिका तथा अन्य देशों में योग पर व्याख्यान देने और वहां इसके बारे में बताने का अवसर मुहैया कराया।
चीन के डाक विभाग ने उनके सम्मान में वर्ष 2011 में डाक टिकट जारी किया था, जबकि सैन फ्रांसिस्को ने 3 अक्टूबर, 2005 को बीकेएस अयंगर दिवस के रूप में मनाया। वर्ष 1975 में अपनी पत्नी की याद में पुणे में रमामणि अयंगर मेमोरियल योग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की।
अयंगर को 1991 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2014 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था। अयंगर को विश्व के अग्रणी योग गुरुओं में से एक माना जाता है और उन्होंने योग के दर्शन पर कई किताबें भी लिखी थीं, जिनमें 'लाइट ऑन योगा', 'लाइट ऑन प्राणायाम' और 'लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि' शामिल हैं।
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