Monday, January 11, 2010

सिकंदर की अन्तिम इच्छाएं

--> आज एक अच्छा ई मेल प्राप्त हुआ, महान राजा सिकंदर के बारे में, अच्छा लगा, इसलिए प्रस्तुत है महान राजा सिकंदर, कई देशों, राज्यों पर विजय पाने के बाद अपने घर लोट रहा था. रास्ते में वो बीमार पड़ गया. काफी महीनो वो बिस्तर पर पड़ा रहा. सिकंदर समझ गया की अब मौत आने वाली है. सिकंदर ने महसूस किया की उसकी जीती गयी रियासतें, उसकी विशाल सेना, उसका इकठ्ठा किया हुआ धन और उसकी धारदार तलवार अब किसी काम की नहीं रही. उसके किसी भी काम नहीं आ सकती.
उसने अपने सेनापतियों को बुलाया और बोला, " मैं अब इस दुनिया से जाने वाला हूँ, लेकिन मेरी तीन इच्छाएं है, क्या तुम बिना असफल हुए इसे पूरी करोगे?" इतना कहते हुए उसकी आँखों से आंसू बहने लगे. सेनापतियों ने तीनो अन्तिम इच्छाएं पूरी करने का वादा किया.

सिकंदर बोला " मेरी पहली इच्छा है की मेरा इलाज करने वाला हकीम ही मेरे ताबूत को खींच कर कब्र तक ले जायेगा." "दूसरी ये की जब मेरा ताबूत कब्र तक ले जाया जाये तो उस रास्ते में मेरे इकठ्ठे किये हुए खजाने में से सोने चांदी बहुमूल्य पत्थर बिखेरे जाएँ. और मेरी तीसरी और आखिरी इच्छा है की मेरे दोनों हाथ ताबूत में से बाहर दिखाई देने चाहिए."

आस पास खड़े लोगों को सिकंदर की इच्छाएं सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ. परन्तु किसी की कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई. सिकंदर का खास सेनापति उसके पास आया और उसने सिकंदर का हाथ पकड़कर उसे चूमा, और उसे अपने छाती पर रखकर बोला "हे राजा हम आपको विश्वास दिलाते हैं की आपकी तीनो इच्छाएं अवश्य पूरी की जाएगी. लेकिन कृपया आप बताएं की इसी आश्चर्यजनक इच्छाओं के पीछे क्या कारण है?"

यह सुनकर सिकंदर ने एक गहरी साँस ली, और बोला " मैं दुनिया को तीन पाठ पढाना चाहता हूँ, जो मैं सीख चूका हूँ. मैं अपने हकीम के जरिये अपना ताबूत इसलिए लेजाना चाहता हूँ क्योंकि लोगों को यह जानना चाहिए की कोई भी हकीम हकीकत में आपका इलाज नहीं कर सकता. ये शक्ति हीन हैं आपको मौत के चंगुल से बचा नहीं सकता. इसलिए लोगों को अपनी जिंदगी हकीम द्वारा दी हुई नहीं समझनी चाहिए.

कब्र के रास्ते में सोना चांदी बेशकीमती पत्थर इसलिए बिखेरना चाहता हूँ ताकि लोग यह जान सकें की सोने चांदी का जर्रा भी मैं लेके नहीं जा रहा हूँ. उससे लोग यह सीखेंगे की ज्यादा धन का पीछा करने में समय गवाना व्यर्थ है. इससे समय नष्ट होता है.

और मेरी तीसरी इच्छा की मेरे दोनों हाथ ताबूत से बाहर रखें जाएँ वो इसलिए है क्योंकि मैं चाहता हूँ की लोग देखें की मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ चला गया.

सिकंदर के अन्तिम शब्द
Burn my body, do not build any monument, keep my hands outside so that the world knows the person who won the world had nothing in hands when dying"
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32 comments:

  1. sahi baat kahi .........kisi ke sath kuch nhi jata siway apne karmon ke.

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    1. माना की सिकंदर के होसले बुलंद धे , मगर जब वो गया था इस दुनिया से , तो दोनों हात खाली धे।

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  2. सही सीख!!

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  3. हरकीरत ' हीर'Saturday, January 23, 2010 5:29:00 PM

    कब्र के रास्ते में सोना चांदी बेशकीमती पत्थर इसलिए बिखेरना चाहता हूँ ताकि लोग यह जान सकें की सोने चांदी का जर्रा भी मैं लेके नहीं जा रहा हूँ. उससे लोग यह सीखेंगे की ज्यादा धन का पीछा करने में समय गवाना व्यर्थ है. इससे समय नष्ट होता है.


    और मेरी तीसरी इच्छा की मेरे दोनों हाथ ताबूत से बाहर रखें जाएँ वो इसलिए है क्योंकि मैं चाहता हूँ की लोग देखें की मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ चला गया.

    वाह ....सिकंदर के ये महान उपदेश आँखें खोलने लायक हैं .....!!

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  4. khali hath aya tha khali hath hi jayega ye to duniya ki reet hai

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  5. sikandar ek mahan yodha tha

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  6. Rakesh tirole - ye vichar achha tha isse us mahan insan ki mahanta or bad gai

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  7. bhut hi acha eshko likhane ke liye sabad nahi hi sudama shaw

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  8. SIKANDER IS ABSALUTLY
    RIGHT....

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  9. Jindgi yahe sikh deti h yaro...

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  10. khali hath aye khali hath jaynge

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  11. hame sikander se sikh leni chahiye

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  12. Hame dusare ke dhan ka lobh nhi karna chahiy..........

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  13. Usne ye seekh hame ni khud ko dii taaki ham samaj sakee

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  14. sikandar ka jeevan bhi kisi EXAMPLE se kam nahi hai.
    GREAT SIKANDER.

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  16. TAQDEER BANANE WALE TUNE KAMI NA KI
    AB KISE KYA MILAA
    YEH MUQADDAR KI BAAT HAI ♥♥♥@Ashu@

    From Dharamshala (Himachal Pardesh India)
    +91-89680-62369

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  17. sikandar ka jeevan logon ke liye ek misaal hai jo ise samaghta hai vo kbhi pareshan nai hota

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  18. AAYA HAI SO JAYEGA RAJA , RANK , FAKIR.........

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  20. Duniya Ko jeetne Waala Maut Say Haar Gya.....

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  21. Jindagi to wevfa hai ek din thukrayegi...
    Wah sikandar wah

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  22. ek dum sahi kha sikander ne
    khali hath aaye hain aur khali hath he chale jayenge

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  23. jo jita wahi sikandar. sikAndar is great worrior

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  24. Anil Bhardwaj siKanDar wash a great man

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  25. और मेरी तीसरी इच्छा की मेरे दोनों हाथ ताबूत से बाहर रखें जाएँ वो इसलिए है क्योंकि मैं चाहता हूँ की लोग देखें की मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ चला गया.
    Daed is very dangerous

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  26. और मेरी तीसरी इच्छा की मेरे दोनों हाथ ताबूत से बाहर रखें जाएँ वो इसलिए है क्योंकि मैं चाहता हूँ की लोग देखें की मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ चला गया.
    Daed is very dangerous

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  27. सिकंदर कायमता दोहरे अलविदा हुये.
    आज हम जिए कैसे,पृथ्वी पर आने का हेतु ,लक्ष
    तेजज्ञान फाउंडेशन दे ,जीवन अमल में लाता,
    सिकंदर की समझ,बोध हमारे जीवन उतारे,
    Happy Thoughts.

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