अगर किसी को ये शक है की हमारी सेना किसी सेना से मुक़ाबला करती है तो ये खबर इस शक को हटाने के लिए काफी है।
हमारा मुक़ाबला एक आतंकी संगठन से है, जो सेना का वेश धरे है। सेना के कुछ उसूल होते हैं, एक जवान का दूसरे जवान के प्रति व्यवहार की मर्यादा निश्चित होती है। ऐसी क्रूरता माफी के लायक नहीं है। इस बर्बरता का जवाब देना होगा।
इस कमीने देश के साथ कोई अमन की आशा नहीं है, मूर्ख भारतीय है वे लोग जो की अमन की आशा मे इस देश के साथ क्रिकेट का लुत्फ उठाते हैं। उन मूरखों मे मेरे कई मित्रा शामिल हैं।
अब इस देश के साथ कोई खेल नहीं
न ही क्रिकेट का
न बातचीत का
न सांस्कृतिक आदान प्रदान का
इस कमीने देश के यहाँ आने के सारे रास्ते बंद
तीन जंग और पैंसठ साल के इस अफसाने मे खून से लिखे अध्याय बहुत हैं, यदि एक और अध्याय लिख दिया जाये तो शायद इस कमीने देश को इसके अंजाम तक पहुंचाया का सके.......
(कुछ अंश कमलेश सिंह के आर्टिकल से)
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