आत्मा अजर अमर होती है। शरीर नाशवान है वह मरता है परन्तु आत्मा कभी नहीं मरती है। यही हमें बचपन से ही सिखाया जाता है।
आत्माएं शरीर बदलती रहती है। आत्माओं के लिये शरीर मात्र एक किराए के मकान की तरह होता है। जब वे इसे छोडती हैं तो शरीर
को मृत मान लिया जाता है।
इसका मतलब हम आत्माए हैं जो इस शरीर में रह रहै है। किसी दिन हम इस शरीर को छोड देंगे।
लेकिन जब सभी जानते हैं कि आत्माएं नहीं मरती तो फिर किसी के मरने पर इतना रोना धोना क्यों होता है।
दुनिया की जनसंख्या क्यों बढ रही है?
यह बात भी आश्यर्य की है कि दुनिया की जनसंख्या क्यों बढ रही है जबकी आत्मा तो अजर अमर है। आत्माएं शरीर बदलती है इससे
मानव का जीवन मृत्यु का खेल चलता है, तो इस नियम के अनुसार तो जनसंख्या नहीं बढनी चाहीये न। क्योंकी जो मर रहा है वो
कुछ दिनों बाद फिर जन्म ले रहा है, तो फिर इतनी पापूलेशन कैसे बढी।
हम भारतीय 35 करोड से एक अरब कैसे होगये?
क्या नई नई आत्माएं जन्म ले रही है?
उदाहरण के तोर पर भारत देश में 1940 के समय लगभग 35करोड की जनसंख्या थी। इसका मतलब 35करोड आत्माएं 35करोड
शरीरों में रह रही थी। तो फिर ये जनसंख्या उत्तरोत्तर आगे कैसे बडती गई। तो क्या लगातार आत्माएं भी जन्म ले रही थी?
ये बात मेरी समझ से परे है
क्या आत्माएं भी आपस में शादी करके बच्चे पैदा कर रही है?
तभी तो एक अरब आत्माएं हो गई है।
इसका मतलब सरकार को आबादी नियंत्रण के ये जनता को समझाने कि बजाय आत्माएं को समझाना चाहिये कि वो आत्माएं पैदा न
करें। बैचारे शरीर फालतु ही बदनाम हो रहै हैं जनसंख्या वृद्धी के लिये।
भाई,
ReplyDeleteहम आत्मा नही हैं...हम तो ये शरीर हैं...जैसे ही ये आत्मा किसी शरीर लो धारण करती हैं, वो "हम" हो जाता है..
रहा सवाल आत्मा की संख्या का, तो आत्मा सिर्फ मनुष्य की ही नही होती अपितु हर चेतन वस्तु में होती है...
तो ये आत्मा कभी जानवर(पशु, पक्षी, कीडे, मक़ोडे) का शरीर धारण करती है तो कभी मनुष्य का...
किस्मत से (या बदकिस्मती से)आजकल मनुष्य शरीर ज्यादा demand में है आत्माओं के बीच...
सही कहा नितिन आत्मा की संख्या के बारे में।
ReplyDeleteअब तो यही मानना पडेगा कि आत्मा कई रुपों में विध्यमान है।
कहते हैं आत्मा 84लाख शरीरों में प्रवेश करती है।
हो सकता है कि कीडों की आत्माएं अब मनष्य का रुप धारण कर रही हो क्योंकी उनकी संख्या बहुत है।
लेकिन फिर भी सवाल तो वहीं का वहीं है।
इस धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीवों को मिलाकर जितनी आत्माएं होती है उतनी ही है क्या।
क्या ये घट या बढ नहीं रहीं?
युगल भाई, १९४० के आस पास भारत की जनसंख्या ३५ करोड़ के लगभग थी, न कि ३५ लाख के.
ReplyDeleteऔर हां, मेरे ख्याल से आप आत्माओं की गिनती या तौल नहीं कर सकते, क्योंकि वे कोई भौतिक वस्तु तो हैं नहीं.
कुछ भी हो सवाल पते का उठाया है, इस हिसाब से जनसंख्या मानव की नही आत्माओं की बढ़ रही है। ;) कहीं ऐसा तो नही रक्तबीज की तरह एक शरीर के मरने पर दो आत्माओं का जन्म होता हो।
ReplyDeleteयुगल,
ReplyDeleteप्रश्न पते का है, वैसे ८४ लाख शरीर नही, ८४ लाख योनियों का जिक्र है, जिसमे से मानव शरीर एक है, तो कुल योनियों मे संख्यायें तो असंख्य हुई.संभव है बिना नई आत्माओं के प्रोडक्शन के उनका रोटेशन ही संख्या बढा रहा हो, जैसा नितिन भाई ने कहा, मानव शरीर है तो डिमांड मे, सोच कर देखें कि क्या आप कुछ और बनना चाहेंगे? :)
समीर लाल
अमित भाई गलती ईंगित करने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteमैं गलती से करोड को लाख लिख गया।
मैने गलती सुधारली है
अमित जी जब देवताओं कि गिनती हो सकती है तो फिर आत्माओं कि क्यों नहीं?
ReplyDeleteदेवता भी भौतिक वस्तु नहीं है।
तरुण की बात में भी दम है।
समीर जी
हो सकता है कि रोटेशन हो रहा हो लेकिन जब हमारे ग्रंथो ने देवताओं कि संख्या बता दी तो फिर आत्माओं कि क्यों नहीं बताते।
कई आत्माएं तो ऐसी होती है जो किसी योनी में नहीं जा पाती क्योंकि वे अतृप्त इच्छा के कारण भटकती रहती है।
हमारे देश में तो एक शरीर में दो दो आत्माएं निवास कर लेती है जैसे किसी के शरीर में बुरी आत्मा प्रवेश कर लेती है तो वह वर्तमान आत्मा को काबू में करके अपना राज चलाती है।
प्रश्न गम्भीर है.एक धार्मिक सम्प्रदाय का तो यह भी मानना है कि मनुष्य की आत्मा का पुनर्जन्म मनुष्य योनि मे ही होता है, अन्य योनियों मे नही. तब फिर वही प्रश्न खङा हो जाता है कि जनसंख्या मे वृद्धि का क्या कारण है, नई आत्मायें कहां से आ जाती है, क्या आत्माओं की संख्या तय नही है, जैसे कि देवताओं की है? इसका उत्तर कौन देगा!?
ReplyDeleteप्रश्न गम्भीर है.एक धार्मिक सम्प्रदाय का तो यह भी मानना है कि मनुष्य की आत्मा का पुनर्जन्म मनुष्य योनि मे ही होता है, अन्य योनियों मे नही. तब फिर वही प्रश्न खङा हो जाता है कि जनसंख्या मे वृद्धि का क्या कारण है, नई आत्मायें कहां से आ जाती है, क्या आत्माओं की संख्या तय नही है, जैसे कि देवताओं की है? इसका उत्तर कौन देगा!?
ReplyDeletebahut achche
ReplyDeleteha ha ha ha
aapne ek vastvik stya ko kitne achche vyang se chunuoti di hai.
i really fan of you.
Rakesh Kaushik
Prithvijaise bahut grah hai jaha per life hai woh pritvi se 10 guna bade hai...koi 100 guna bada hai waha ki population prithvi see
ReplyDelete100 guna hai waha ki aatma yaha aati hai waise hi prothvi ki aatma waha jato hai