Monday, July 09, 2007

मै फिर आगया हूँ

काफी दिनो बाद नेट पर बैठने का मौका मिला,
नारद याद आगया।काफी कुछ बदल गया है।
अब मैं नियमित आया करुंगा।
युगल मेहरा

7 comments:

  1. पंकज बेंगाणीWednesday, March 17, 2010 6:58:00 PM

    कहाँ चले गए थे मित्र. तुम्हारे वियोग मे तो दूबला हो चला हुँ. अब यही रहो और बतियाओ :)

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  2. बिना बताये कहाँ चले गये थे?ना चिठ्ठी ना पत्री?
    बहुत बुरी बात है। ऐसे चले जाना।
    खैर अब आये हो तो अब कहीं जाना मत, आपका एक बार फिर से स्वागत करते हैं।

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  3. अभी भी आप कोटा में ही हैं या कहीं और?

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  4. पुनर्स्वागत का धन्यवाद
    मैं अभी कोटा में ही हुँ
    दोस्तो के कमेंट पडकर अच्छा लगा।

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  5. पहले घर से काम करता था अब ऑफिस से शुरुआत है।

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  6. अरे वाह!!! हम तो तरस गये भई तुहार दरस को. न तुम लिख रहे हो न हमें ऐसा मैटर मिल रहा है कि वाह वाही लुटें. अब फटाफट लिखना जारी करो. इतने दिनों मे तो खुब मसाला इक्कट्ठा हो गया होगा. अब बिना बताये मत जाना. :)

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  7. नियमित रूप से लिखा करें. सबको अच्छा लगेगा -- शास्त्री जे सी फिलिप

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

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