Wednesday, March 04, 2015

काटजू महामूर्ख है

पूर्व जज मार्कन्डेय काटजू ने महाराष्ट्र मे गौ हत्या पर लगे प्रतिबंध का विरोध किया है... इन खाटजू का कहना है की ये साधारणतया गौमांस नहीं खाता लेकिन इसने पहले खा रखा है और भविष्य मे किसी अवसर पर खा सकता है।
इसके पक्ष मे काटजू जी ये तर्क देते हैं की ज़्यादातर विश्व मे और भारत के कुछ हिस्सों मे गौमांस खाया जाता है, तो क्या वे लोग दुष्ट हैं ?
"इसके विरोध मे जोरदार तर्क रखते हुए महामूर्ख काटजू जी का कहना है जो लोग या संगठन गौहत्या के खिलाफ चिल्लाते हैं क्या वे लोग गाय को इधर उधर भटकते, थेलियाँ, कचरा खाते हुए नहीं देखते। क्या वे नहीं देखते की हजारों गायों को ढंग से खाना नहीं मिलता? किसी को गाय के दुख का अंदाजा नहीं है ... बस गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए पीछे पड़े रहते हैं।"
(महामूर्ख इसलिए क्योंकि काटजू जी के अनुसार देश मे 95% मूर्ख रहते हैं और बाकी के 5% महामूर्ख)

मैं काटजू जी को कहना चाहता हूँ की क्या विश्व के ज़्यादातर हिस्सों मे कुत्तों को, गिद्धों को या इन्सानो को खाया जाने लगेगा तो क्या इसका मतलब ये है की इन्हे खाना सही है? जब आप 95% लोगों को मूर्ख बताते हो तो अधिकतर लोगों को गाय खाने वाला उदाहरण कैसे दे सकते हो? ज़्यादातर लोग मूर्खता करेंगे तो क्या सबको मूर्खता करनी चाहिए?

दूसरी बात काटजू जी ने कहा की गायों को खाने को नहीं मिलता इसलिए उन्हे भोजन के रूप मे खा लेना चाहिए - तो मैं काटजू जी का ध्यान सूडान, सोमालिया जैसे देशों पर दिलाना चाहूँगा... वहाँ पर इन्सानो खाने को कुछ नहीं मिलता ... वहाँ ज़्यादातर इंसान कुपोषित और भूखे होते हैं ... तो क्या वहाँ पर इन्सानो को भोजन के लिए मारकर खाने लग जाना चाहिए? सिर्फ सोमालिया ही नहीं बल्कि मे हमारे देश मे ही कई जगह इन्सानो को झूठन खाने को मिलती है तो क्या ऐसे इन्सानो या उनकी नसल को मारकर खा जाना चाहिए?

 



आज मुझे यकीन हो गया है की काटजू जी उन बचे हुए 5% लोगों मे से ही हैं जो की महामूर्ख है ... क्योंकि बाकी के 95% तो सिर्फ मूर्ख हैं।

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