Sunday, May 07, 2006

खतरनाक बुढ्ढा (बुढ्ढों से सावधान) Harmful Oldman

दोस्तों यदी किसी ने इससे पुर्व के पोस्ट पढे हों तो उन्हे याद ही होगा किस प्रकार मेरी कोटा से रोहतक की यात्रा रही तथा किस प्रकार वहां पर बारात में मेरे साथ वो अजीबोगरीब घटना घटी।
अब आगे का हाल
जैसा कि टाईटल से लग रहा है इसमें किसी बुढ्ढे का जिक्र होगा। सच में ये एक बुढ्ढे की ही दास्तान है।
कोटा जाने के लिये हमने दोबारा उसी जनशताब्दी एक्सप्रेस को चुना। जाते समय हम चार मित्र थे। गाडी हजरतनिजामुद्दिन से कोटा के लिये रवाना हुई। जिसने भी इस गाडी में सफर किया हो उसे याद होगा कि इस गाडी में बैठने की व्यवस्था बस की भांति होती है। यानी तीन सीटें इधर और तीन उधर। हम चारों में से तीनों तो साथ बैठ गये और एक पास वाली पर बैठ गया। हमारे पास सोनी का केमकोर्डर था।
हमारे आगे वाली सीट पर दो बुजुर्ग महिलाएं तथा उनके साथ एक बुजुर्ग व्यक्ति था। उनकी बातों से हमें पता चला कि दोनो महिलाओं में से एक तो उस आदमी की पत्नी थी तथा एक बहन।
यही था वो खतरनाक बुढ्ढा
इस व्यक्ति की आयु 65 के आसपास होगी। मगर इसका दिल जवान था इसका सबूत उसने थोडी देर बाद दिया। जैसे ही ट्रेन ने अपनी गती पकडी बुढ्ढे ने अपनी सीट छोड दी तथा बाजु वाली दुसरी सीट पर बैठ गया।
उसके आगे वाली सीट पर एक लडकी बैठी हूई थी जो रिलायंस के मोबाईल से खेल रही थी। हमारा एक मित्र बडी आरजू से उसको निहार रहा था पर वो थी कि पलटने का नाम ही नहीं ले रहीं थी।
मेरा दोस्त कमेंट कर रहा था कि रिलायंस तो बैकार नेटवर्क है हमारे पास तो एअरटेल है।
तभी एक अजीब घटना घटित हूई।
हम सब ने नोट किया।
हम क्या देखते हैं कि बुढ्ढे ने आगे वाली सीट की पुश्त पर सिर टिका लिया ओर सोने लगा था मगर उसका हाथ सीट की पुश्त के भी आगे जा रहा था।
लडकी के शरीर से मात्र कुछ ही दूरी पर था उसका हाथ।
हमने एक दुसरे की और देखा फिर सोचा कि ऐसे ही चला गया होगा बुढ्ढे का हाथ। नींद में होगा।
तभी हमने एक हरकत और देखी हमने देखा कि बुढ्ढे ने अपना हाथ एक इंच और आगे बडा दिया था और उसकी उंगलियां लडकी की पीठ को छूने लगी थी।
हमारा दिमाग खराब हो गया।
हमें बुढ्ढे पे गुस्सा आने लगा। गुस्सा आने का कारण नहीं बताउंगा बस गुस्सा आने लगा।
बुढ्ढे ने धीरे धीरे करके अपनी सारी उंगलिंया लडकी के सटा दी, और उन उंगलियों को गडाने लगा। हमने सोचा कि इस लडकी को पता नहीं चल रहा है क्या इसकी हरकतों का।
तभी मेरे दोस्त ने कमेंट पास किया कि "यदी कोई रिलायंस पे मिस्डकाल मार रहा हो तो बेहीचक एअरटेल को समस्या बताई जा सकती है एअर टेल समस्या का निदान करेगी।"
मगर लडकी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। हमने फिर कमेंट किया "लगता है लडकी को ही मजा आरहा है"
वास्तव में हम चाहते थे कि वो लडकी हमसे कहे और हम बुढ्ढे को सबक सिखा दें परन्तु जब तक लडकी नहीं कहती अपन कायको चलता सेंटर में लें।
बुढ्ढा सारी बातों से बेखबर अपना काम किये जारहा था। मैने भी सोचा कि उंगलिया अडाके ही खुश हो रहा है साला।
एक बुजुर्ग तो वो होता है कि जिसके सफेद बाल देखते ही हम उसकी ईज्जत करते हैं और एक ये साहब थे जिन पर हमें क्रोध आरहा था।
तभी हमने देखा कि बुढ्ढे की उंगलियों से परेशान होकर लडकी दायीं ओर सरक गयी थी, बुढ्ढे को पता नहीं चला वो हवा में ही अपनी
उंगलियां चलाता रहा। तभी बुढ्ढे ने अपनी आंखे खोली और अपनी सीट से खडा होगया तथा हमें घूरने लगा। उसने जेब में हाथ डाला और प्लास्टिक की छोटी सी शीशी निकाली, हाथ में उडेली तो उसमें से छोटी छोटी गोलियां निकली। तीन चार गोलियां उसने मुंह के हवाले करदी। और उसके बाद साहब बाथरुम को रवाना होगये।

करीब दस मिनट के बाद वापस आये और मोर्चा संभाल लिया।
बुढ्ढे ने देखा कि लडकी दायीं ओर खिसक गई है तो उसने अपना हाथ दो सीट के बीच वाली जगह पर फंसा दिया और फिर से लडकी को छूने लगा।
हमने सोचा कि इस बार तो बुढ्ढा पिटा, अभी लडकी चिल्लाएगी ओर फिर बुढ्ढे का क्या होगा भगवान ही मालिक है।
लेकिन आश्चर्य लडकी ने कुछ भी नहीं कहा। हमने चाय बेचने वाले की तरह आवाज लगाई कि क्या किसी को मदद चाहिये। परन्तु लडकी ने कोई मदद नहीं मांगी। बेचारी लडकी फिर से बांयी ओर खिसक गई तो बुढ्ढा फिर से बांयी ओर से हाथ चलाने लगा। मैने सोचा कि लडकी शायद घबरा रही है। आखिर कार लडकी आगे की ओर झुककर बैठ गई। अब फिर से बुढ्ढे का हाथ हवा में था। उसकी उंगलिया लडकी के शरीर को खोज रही थी, और हम उसकी उंगलियों की हरकतों को देखकर क्रोध में उबल रहै थे।
बुढ्ढा परेशान हो गया क्योंकी लडकी आगे झुककर बैठ गई थी। बुढ्ढा व्यग्र हो रहा था। कि तभी वेटर आया लडकी ने खाने के लिये कुछ खरीदा और भूलवश फिर से पीछे टिककर बेठ गई। बुढ्ढे की फिर से चारों उंगलिया घी में और सर कढाई में होगया। यानी बुढ्ढा फिर से शुरु होगया।
अब हम केमरे से उसके हाथ की फिल्म उतारने लगे।
लडकी फिर से परेशान होने लगी, हमसे मदद भी नहीं ले रही थी। वो कभी दायें होती कभी बायें और बुढ्ढे मिंया भी। गजब का नींद का नाटक कर रहा था बुढ्ढा।
जैसे ही कोई रेल्वे स्टेशन आता उठ जाता और गाडी रवाना होते ही झट से सोजाता ओर फिर काम चालु।
आखिरकार
लडकी ने पास बैठे लडके से कुछ कहा।
हमने सोचा कि अब तो बुढ्ढा गया,
लेकिन हुआ कुछ और ही था। लडका अपनी सीट से खडा हूआ ओर लडकी भी तथा दोनो ने आपस में सीटें बदल ली।
मजे वाली बात ये थी कि बुढ्ढे को इस बात का पता नहीं चला। बुढ्ढा अपना हाथ चलाता रहा। अब बुढ्ढे को क्या पता कि लडकी उस जगह लडके को बैठा गई है।
आगे का पुर्वानुमान लगालगा कर हम लोटपोट हुए जा रहै थे। हम सोच सोच कर कहकहे लगा रहे थे कि अब बुढ्ढा अनजाने में लडके के उंगला करेगा।
कसम से हंस हंस के मेरा तो बुरा हाल हो गया। मेरा एक दोस्त पेट पकड पक़ड के हंस रहा था।
तभी मैने हंसते हूए कहा कि चुप रहो चुप रहो देखो कैसा मजा आता है।
बैचारा लडका
उसे क्या पता था कि लडकी उसे कहां बैठा गई है।
तभी बुढ्ढे ने अपनी उंगलीयां आगे बडाई हम अपनी हंसी रोकने के लिये जबडा भींच कर बैठ गये। बुढ्ढे ने उंगलियां और आगे बडाई ओर एक उंगली अडा दी।
लडके ने गोर नहीं किया। वो और पीछे सट कर बैठ गया।
बुढ्ढे ने अपनी उंगलिया और गडाई। तभी लडके ने पलट कर देखा। उसने बुढ्ढे का हाथ देखा, फिर हमें देखा कि हम किस प्रकार हंसी को दबा रहै थे। बुढ्ढे ने नींद का नाटक करते हुए और जोर से उंगलिया गडाई लडके ने उसके हाथ को फिर से देखा फिर हमें देखा। बेचारे को काटो तो खुन नहीं, समझ गया कि लडकी के साथ क्या हो रहा होगा।


शेष फिर...........


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जार कहानी बीच में कूँ छोड़ देते हो? और Harmfull Oldman नहीं Harmful Oldman होत है।
लेखक रजनीश मंगला, यहाँ monday, may 08, 2006 4:03:00 am

3 comments:

  1. रजनीश मंगलाWednesday, March 17, 2010 6:58:00 PM

    जार कहानी बीच में कूँ छोड़ देते हो? और Harmfull Oldman नहीं Harmful Oldman होत है।

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  2. रजनीश बाबु वो का है कि पोस्ट जरा लम्बा हुआ जारहा था तो हमरे मन में विचार आया कि क्यों न दो भागों में लिख दूं।
    और दूसरी बात स्पेलिंग मिस्टेक की तो वो मैने आपके कहै अनुसार सुधार ली है।

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  3. हा हा हा ...भईया, आज आप के मन के लङकियों के प्रति किस प्रकार का विचार है ??

    अधिकांश लोगों के ऊपर, जो gay नहीं हैं, यह फार्मूला लागू होता है:

    लङकियाँ = sex toyz.

    और यकीन मानिये, आप जब खुद 65 साल के हो जायेंगे, तब भी आप इसी फार्मूले पर चलेंगे.

    यह फार्मूला गुरु हिमांशु द्वार डिराइव किया गया है, और यह भौतिकी का जाना माना सिद्धांत है.

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