सरकार ने खुद खुल्ली छुट दे रखी है हमें लूटने की तो फिर लुटेरे क्या चुप बेठे रहेंगे, जितना मर्ज़ी हो बढ़ाते जाओ, कोई कुछ कर ही नहीं सकता, हो सकता है सरकार में शामिल कुछ दल इस का विरोध करें, लेकिन वो विरोध कुछ समय तक ही दिखाई देगा, क्योंकि ये पहले से ही सेट होते है, भाई उनके इलाके की जनता को लगा की हाँ भाई हमारी पार्टी मूल्य वृद्धि का विरोध कर रही है, उसके बाद शांति..........
विपक्षी दल भी आयेंगे विरोध प्रकट करेंगे, हो सकता है बंद वंद करें, धरना प्रदर्शन करें, जुलुस निकाले, मगर क्या होगा... ? ?
= वहीँ पर सरकार का गुलाम मीडिया प्रकट होगा. वह सबको बताएगा की विपक्षी दल के प्रदर्शनों के कारण देशवासी परेशान हो रहे हैं, वह सबको बताएगा की विपक्षी दल राजनेतिक रोटियां सेक रहे हैं, और कुछ दिनों के बाद सब कुछ पटरी पर आ जायेगा, देशवासियों को बासठ रुपया प्रती लीटर पेट्रोल की भी आदत पड़ जाएगी,
वास्तव में तो यह मूल्य वृद्धि देशवासियों के किये अपराध की सजा है और यह सजा आगे भी मिलती रहेगी.
देशवासियों का अपराध = जुल्म करने वाले से जुल्म सहने वाला बड़ा अपराधी होता है, तो फिर हुए न देशवासी अपराधी.
इस देश में कोई कुछ भी कर सकता है, लेकिन इस देश के लोग चुपचाप सहते रहते हैं, कितने सहिष्णु है हम. कोई यह कहता है कि कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा मत फहराओ यहाँ दंगे हो जायेंगे, तुर्रा यह की वह कश्मीर का मुख्यमंत्री है जो आततायीयों के डर से ऐसा कह रहा है. कल को उसे यह डर भी सता सकता है कि लाल किले पर तिरंगा मत फहराओ वरना देश में दंगे हो जायेंगे.
जबकि उसे यह कहना चाहिए था कि बी जे पी कोन होती है तिरंगा फहराने वाली मैं हूँ प्रदेश का मुखिया मैं खुद जाऊंगा लाल चौक में तिरंगा फहराने.
हमारे खामोश प्रधानमंत्री को कहना चाहिए था कि चाहे जो हो जाये किसी भी डर, दंगे फसाद के आगे तिरंगा नहीं झुकेगा लहरा के रहेगा, फहरा के रहेगा....
मगर ताज्जुब भाई वो अभी तक कुछ बोले नहीं, उन्हें पता ही नहीं है कि क्या बोलना है , वो कुछ दिनों बाद मैडम से पूछ के बताएँगे
और मेरे देश के लोग चुप चाप देखते रहेंगे, आखिर कर भी क्या सकते है ......... महमूद गजनवी का ज़माना है भाई
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